Tuesday, October 7, 2008

भूमिका

क्या आप पागल हैं ?

आप सोच रहे होंगे की भला कैसा अटपटा सवाल हैं ? मैं रोड पर घुमने वाले अजीबो गरीब हरकत करने वालों की बात नहिएँ कर रहा हूँ मैं बात कर रहा हूँ, उस पागल की, जो सफलता प्राप्त करने हेतु पागलपन की हद से गुजर जाता हैं हमारी भाषा मैं उसे पागल कहते हैं पा - पाने के लिए ग - गतिशील ल-लक्ष्य की ओर

सफलता सपने और लक्ष्य की बाते समझाने वाले आपको लाखों मिल जायेंगे; सुनने वाले हजारों; समझने वाले सैकडो परन्तु जब करने की बात आती हैं तो आप अँगुलियों पर गिनती कर सकते हैं असफल कामचोरों के पास अपनी कमजोरियों को छुपाने के लिए ठोस एवं मजबूत बहाने एवं दलीलें होती हैं क्या आप इनमें से तो एक तो नही ? अगर हाँ तो आप ये पुस्तक नहीं पढ़ पाएंगे कन्योकि आप जैसो के पास धैर्य नाम की चीज नही होती जो इस ब्लॉग को पढने के लिए अति आवश्यक हैं आप इस ब्लॉग को इस लिए पढ़ रहे हैं कन्योकि आप कुछ खोज रहे हैं कुछ पाना चाहते हैं कुछ न कुछ अलग करना चाहते हैं

परेशानियों के रस्ते पर अगर सफल होना हो तो, आपके पास गाड़ी हो - संकल्प की, पहिये हो होंसलें के, पेट्रोल मेहनत के पसीने का, इंजन हो करम का , स्टेरिंग व्हील हो विश्वास का, एक्सिलाटर हो उत्साह का और ऐसी गाड़ी को जब बुधि के साथ लक्ष्य के रस्ते पर चलायी जाए तो क्ठिनेयोँ ओ से आसानी से पर किया जा सकता हैं

1 comment:

Unknown said...

vow,sir,aapke es karbe sachh ki aapni pahechan hai,dil khus ho gaya sir,thanks for nice blog